Sunday, January 30, 2022

Practical Criticism

Criticism-IAR Practical Criticism Reading Criticism


Hello readers, 

                      In this blog part of Criticism paper Activity this poem I am trying to criticize this poem. 


मुझे रावण जैसा भाई चाहिए !


गर्भवती माँ ने बेटी से पूछा

क्या चाहिए तुझे? बहन या भाई

बेटी बोली भाई

माँ - किसके जैसा? बेटी ने गर्व से

रावण सा, माँ ने जवाब दिया

क्या बकती है? पिता ने धमकाया


'माँ ने घूरा, गाली देती है


बेटी बोली, क्यूँ माँ?

बहन के अपमान पर राज्य

वंश और प्राण लुटा देने वाला

शत्रु स्त्री को हरने के बाद भी

स्पर्श न करने वाला

रावण जैसा भाई ही तो

हर लड़की को चाहिए आज

छाया जैसी साथ निभाने वाली

गर्भवती निर्दोष पत्नी को त्यागने वाले

मर्यादा पुरषोत्तम सा भाई

लेकर क्या करुँगी मैं?


और माँ

अग्नि परीक्षा चौदह बरस वनवास और

अपहरण से लांछित बहु की क़तर आहें

तुम कब तक सुनोगी और

कब तक राम को ही जन्मोगी


माँ सिसक रही थी - पिता आवाक था


.....


Shintsie Kumar



Ram and Ravan was use as metaphor in poem there are form as a dialogue in this poem challenging metaphor Ram seen as a positive way Ravan seen as a negative way we seen but poem was different way with positive way of Ravan. 



In Ramayana Ravan is the villian but one girl wants brother like Ravan he was fight for her sister Ram was the god of Hinduism or Maryaada purushottam but Ravan and their brothers more love their sister. Girl very calmly and clearly said about that woman rights as a hero of over society Ram. People wants to son like Ram but girls want to brother like Ravan. Brother wants brother they want brother like Lakshman he give his life and everything his brother on the other hand they don't want brother like Vibhishan they want brother Kumbhakarn they want son like Indrajeet but they always appreciate Ram. 




भाई नहीं गुरुर है, मेरा मेरी हर जिद्द 

को पुरा करे, वो जिनी है मेरा.

There is one blog to relate this poem in this blog writer give the information about event relate with Ravan and her sister give the Mythology event first read all of them and then demand brother like Ravan. 

एक बार इन कलयुगी लिबरल शूर्पणखाओं को हृदय से धन्यवाद है कि उन्होंने अपने लिबरल होने का पूरा कर्तव्य निभाया है. सो हे शूर्पणखाओं, यदि आपका यह भगवान से निवेदन फाइनल है तो आपकी ओर से आपकी प्रार्थना का एक्सटेंशन हम भी भगवान से करना चाहते हैं.

हे भगवान ऐसी शूर्पणखाओं को जल्द ही रांड़ अर्थात विधवा कर देना. अब चूँकि रांड़ (विधवा) होने के साथ लिबरल भी हैं तो निश्चय ही इनका दिल अपनी सहेली, परिचित अथवा अन्य हॉट डूड पर आयेगा. वो नहीं तो उसका भाई भी सही. तो हे भगवान, ऐसी हालत में इनकी नाक जरुर काटना. फिर जब इनका भाई अपने ही भाई (जो कि इनका भी भाई होगा) की बहू से बलात्कार करे तो इन्हें फ्रीडम ऑफ़ एक्सप्रेशन का जश्न मनाने का मौका भी देना. फिर जब कूल डूड की बीवी को इनका भाई उठा लाये तो इनके पूरे परिवार की कुटाई कूल डूड के दोस्त जानवरों जैसे करें, ऐसी मेरी कामना है. फिर इनके रावण जैसे भाई का सफाया कूल डूड जरुर करे. पर इतना मान रखना भगवान कि कूल डूड की पत्नी का शील हरण होने से बचा लेना.

सो हे लिबरल शूर्पणखाओं, अपने व्हाट्सएप से मिले ज्ञान से आगे भी दुनिया देखना. मेरा आशय रावण और शूर्पणखा के बारे में सही साहित्य पढ़ने का है. यदि अपने जैसे लिबरल लेखकों का लिखा पढ़ोगी तो फिर से रावण जैसा भाई ही मांगोगी.

आपकी जानकारी के लिए बताना चाहता हूँ कि रावण ने स्वयं अपनी बहन शूर्पणखा के पति की हत्या की थी. रावण ने ही अपने भाई कुबेर के पुत्र नलकूबर की वधु रम्भा अर्थात अपनी पुत्रवधु के साथ बलात्कार किया था जिसके कारण उसे शाप मिला था कि वह यदि किसी भी अन्य स्त्री के साथ बलात्कार की चेष्ठा करेगा तो उसके सर के सात टुकड़े हो जायेंगे और तत्काल उसकी मृत्यु हो जाएगी. आपकी आइडियल शूर्पणखा ने रावण से सीता के रूप का बखान करते हुए उसे परामर्श दिया था कि वह हर तरह से रावण की पत्नी बनने योग्य थी. रावण सीता को ले तो आया था किन्तु शाप के भय से सीता से बलपूर्वक अनिष्ट नहीं कर पाया था लेकिन लगातार सीता माता को प्रलोभन देता रहा था कि यदि सीता उससे विवाह के लिए तैयार हो जाये तो वह उन्हें पटरानी बना देगा और आपकी भाभी मंदोदरी सहित बाकी रानियों को सीता की दासी बना कर रखेगा.

सो हे लिबरल शूर्पणखाओं, यदि अब भी रावण जैसा भाई भगवान से मांगो तो मेरी प्रार्थना बोनस के रूप में जोड़ कर ही माँगना. आगे आपकी इच्छा.

चलते चलते : इन तथ्यों के बारे में ज्ञान व्हाट्सएप से शायद ही मिल पायेगा. मेरी इच्छा आपकी जिज्ञासा शांत करने की भी नहीं है इसलिए मूल कथाओं की लिंक भी नहीं भेजना चाहता. यदि मन हो तो स्वयं ढूँढना और फिर सोचना कि भाई रावण जैसा चाहिए या लक्ष्मण, भरत या शत्रुघ्न सा.

(Source:Speaking Tree. In by. Ravi Kant) 

    



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